हमें जीवन में कौन-कौन से कार्य करने चाहिए और कौन से कार्य हमें जीवन में नहीं करनी चाहिए। धर्म हमें यह भी बताता है कि कौन सा कार्य हमें कब करना चाहिए। धर्म हमें यह बताता है कि कौन से कार्य का क्या परिणाम होगा। यह सब हमें धर्म सिखाता है। जब मनुष्य सही धर्म को अपनाकर उसका अनुसरण करता है तब उसका जीवन सफल होता है। धर्म मनुष्य को प्रेम करना सिखाता है। प्रेम ही एकमात्र रास्ता है उस परम तत्व को प्राप्त करने का।प्रेम धर्म का दूसरा नाम है। आज धर्म का अर्थ; धर्म का महत्व और धर्म के मायने बदल चुके हैं। मैं यहां तक कह सकता हूं कि आज जिसे हम धर्म कहते हैं, जिस धर्म को हम मानते हैं, वह हकीकत में धर्म है ही नहीं।हम धर्म के नाम पर अधर्म को अपना रहे हैं। इसका कारण है अज्ञानता और भ्रम। आज़ जिस धर्म के रास्ते हम चल रहे हैं, उस रास्ते पर चलने के लिए हमें भ्रमित किया गया है। यह कार्य उन धर्मगुरुओं के द्वारा किया जा रहा है। जिन पर हम अपने से ज्यादा विश्वास करते हैं। वह हमें धर्म के नाम पर भ्रमित करते हैं जिसकी वजह से हम धर्म को छोड़कर और धर्म के रास्ते पर चल पड़ते हैं।
अधर्म के रास्ते पर चलकर मानव का विनाश ही होता है।अधर्म मनुष्य को मनुष्य से दूर करता है जिससे मनुष्य में घृणा, क्रोध, लालच और द्वेष की भावना बढ़ने लगती है। इसके कारण मानव समाज में भेदभाव बढ़ने लगता है और समाज की दुर्गति होने लगती है। मानव पतन की ओर अग्रसर होने लगता है। आज मानव समाज की दुर्गति का सबसे बड़ा कारण यही है। हम सभी मनुष्य आज पतन की ओर जा रहे हैं। आज धरती पर जितनी भी प्राकृतिक घटनाएं हो रही है, उनका जिम्मेदार सिर्फ मनुष्य है। मनुष्य ने अपना धर्म छोड़ दिया। आज के मनुष्य का एक ही धर्म है पैसा ।हर मनुष्य को पैसा और ताकत चाहिए।चाहे वह पैसा कहीं से और कैसे भी आए। अधर्म ने आज के मनुष्य को लालची बना दिया है। पैसे के लिए मनुष्य ने पर्यावरण को इतना नुकसान पहुंचाया कि आज संपूर्ण विश्व खतरे में है। हम सभी को अपने सही धर्म को पहचानना होगा और धर्म के रास्ते पर चलना होगा तभी हम और हमारी पृथ्वी दोनों सुरक्षित रह पाएंगे।हमारा धर्म क्या है ? सही मायने में धर्म मानव जीवन जीने का एक तरीका है। हम जीवन कैसे जिए यह धर्म हमें बताता है। हमें जीवन में कौन-कौन से कार्य करने चाहिए। किस कार्य का क्या परिणाम होगा। यह धर्म हमें बताता है। धर्म ही हमारे कामों के आधार पर हमारा जीवन तय करता है।