अपने मन को समझने के लिए दुनिया से अलग अकेले चलना पड़ता हैं। तब कहीं जाकर आपको आपके मन की आवाज सुनाई देगी। दुनिया का कोई भी व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता। वह महान तब बनता है जब वह अपने मन की बात सुनता है। मन आत्मा का प्रतिबिंब है। मन ही मनुष्य को जिज्ञासु बनाता है। जब मनुष्य की जिज्ञासा अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच जाती है तब मनुष्य को आत्मज्ञान की प्राप्ति होने लगती है।तब मनुष्य महानता की पहली सीढी चढ़ता है। मैं अपने मन की आवाज सुनता हूं। हमारा प्रश्न था, धर्म क्या है, कहने को धर्म एक शब्द है, लेकिन इसका अर्थ विशाल है। इस प्रश्न के जवाब में दो तरह से दूंगा पहला जवाब में वह जो संसार भर में धर्म को लेकर जो मान्यताएं हैं । दूसरे जवाब में जो मेरे स्वयं के विचार है, वह मैं यहां बता रहा हूं। यह मेरा मकसद बस इतना है कि आज जो धर्म को लेकर गलत अवधारणाएं फैल रही है उसे रोकना ताकी धर्म के नाम पर जो झगड़े हो रहे हैं उन्हें रोकना; धर्म के नाम पर जो आतंकवाद फैलाया जा रहा है धर्म के नाम से जो लूट मची है दुनिया में उसे रोकना।जो लोग धर्म का सहारा लेकर लोगों को भ्रमित करते हैं, उनसे गलत काम करवाते हैं। उन्हें समझाना और यह बताना कि मानव का सही धर्म क्या है। आज का मानव धर्म के नाम पर अधर्म कर रहा है इसका एकमात्र कारण है कि लोगों को धर्म की जानकारी नहीं है। उन्हें जो बताया जाता है वह उन पर विश्वास करके अधर्म के रास्ते पर चल रहे हैं।वास्तविक धर्म कुछ और है। मैं बस इतना चाहता हूं कि लोग सही धर्म को जाने और उसी धर्म को अपने जीवन में उतारें। तभी मानव जीवन में इस दुनिया में शांति कायम होगी।जब मानव सही धर्म को अपनाएगा तभी दुनिया में अमन-चैन और भाईचारा होंगा। धर्म को जानने से पहले हम धर्म की परिभाषा को जानते हैं धर्म की परिभाषा= जो मनुष्य को जीवन जीने का तरीका सिखाएं वही धर्म है ;जो मनुष्य को अध्यात्म की तरफ ले जाए वही धर्म है; जो मनुष्य को प्रेम करना सिखाए जो मनुष्य को भाईचारे से रहना सिखाए वही धर्म है।
जो मनुष्य को मनुष्य बनाएं या जो मनुष्य को जानवर से मनुष्य बनाए वही धर्म है, धर्म मानव जीवन को महान बनाता है। धर्म जो मनुष्य को अच्छे और बुरे कामों की जानकारी देता है। वहीं धर्म है।