यदि आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं, तो अब विश्वास करना बंद कर दीजिए क्योंकि ईश्वर इस धरती से जा चुके हैं। पहले, ईश्वर इस धरती पर निवास करते थे और मनुष्य सहित समस्त जीव-जंतुओं की रक्षा करते थे, लेकिन अब वे यहां नहीं रहते। वे एक नई धरती के निर्माण हेतु प्रस्थान कर चुके हैं। मनुष्य प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसके कष्टों को दूर करें, लेकिन अब कोई नहीं है जो उसकी प्रार्थना सुने। जब मनुष्य संकट में होता है, तो वह ईश्वर से सहायता की अपेक्षा करता है, किंतु अब ईश्वर स्वयं यहां नहीं हैं, अतः उनकी सहायता असंभव है।
आज इस धरती पर जितने भी मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और प्रार्थना स्थल हैं, वे सभी बंद कर देने चाहिए क्योंकि वहां ईश्वर का निवास नहीं है। जब ये पवित्र स्थल ईश्वरविहीन हैं, तो उनका अस्तित्व मात्र एक औपचारिकता है। विश्व के समस्त धार्मिक ग्रंथ अब ईश्वर के बिना साधारण पुस्तकों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं रह गए हैं।
ईश्वर ने मनुष्यों पर से अपना विश्वास उठा लिया है, जिसके परिणामस्वरूप वे इस धरती को छोड़कर जा चुके हैं। अब पृथ्वी और समस्त मानव जाति का विनाश निश्चित है क्योंकि जब विनाश का प्रारंभ होता है, तो ईश्वर वहां से प्रस्थान कर जाते हैं और किसी अन्य स्थान पर निर्माण की प्रक्रिया आरंभ करते हैं।
ईश्वर हम सभी मनुष्यों से नाराज होकर हमें अपने हाल पर छोड़ चुके हैं, क्योंकि हम इतने स्वार्थी हो गए हैं कि अपने हित के लिए संपूर्ण जीव-जगत का विनाश कर रहे हैं। ईश्वर के जाने के बाद, प्रकृति का विनाश आरंभ हो गया है। जंगल समाप्त हो रहे हैं, अनेक जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं, महासागरों का जलस्तर निरंतर बढ़ रहा है, जिससे सुनामी का खतरा बढ़ गया है।
कोविड-19 जैसी महामारी वैश्विक स्तर पर तांडव मचा रही है। मनुष्य की जीवन प्रत्याशा और प्रजनन क्षमता घटती जा रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप संपूर्ण विश्व में अन्न संकट उत्पन्न हो गया है। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि धरती पर अब ईश्वर नहीं हैं।
अब जब इस धरती पर ईश्वर ही नहीं हैं, तो मनुष्य अपने दुखों का समाधान किससे मांगे? विश्व के समस्त धर्मों का पतन आरंभ हो चुका है और मानवता समाप्त होने के कगार पर है। ईश्वर ने धर्म की रचना मनुष्य की भलाई के लिए की थी, लेकिन अब यही धर्म मानव जाति के विनाश का कारण बन चुका है। यही कारण है कि ईश्वर ने धर्म से मुख मोड़ लिया।
पिछले कुछ वर्षों से अंतरिक्ष में घटने वाली घटनाएँ वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के विनाश की ओर संकेत कर रही हैं। कुछ वर्षों में पृथ्वी पर भीषण विनाश होगा और समस्त अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। आज प्रत्येक मनुष्य दुखी है और ईश्वर से सहायता की याचना करता है, किंतु उसकी प्रार्थनाएँ व्यर्थ हैं क्योंकि ईश्वर इस धरती को त्याग चुके हैं।
अब कोई समाधान नहीं है क्योंकि समाधान केवल ईश्वर के पास था, और वे यहां नहीं हैं। अब मनुष्यों के पास एकमात्र विकल्प है – जैसे-तैसे जीवन व्यतीत करना और मृत्यु की प्रतीक्षा करना। अब दुखों का एकमात्र अंत मृत्यु ही है क्योंकि यही हमें कष्टों से मुक्ति दिला सकती है।
आज पृथ्वी पर स्वार्थ सर्वोपरि हो चुका है। हर व्यक्ति पहले अपने स्वार्थ के बारे में सोचता है, फिर समय मिलने पर सोशल मीडिया पर पोस्ट डालता है, लेकिन जीव-जगत की भलाई के बारे में कोई विचार नहीं करता। इसका कारण यही है कि हमारे भीतर ईश्वर का निवास नहीं है।
जब मनुष्य के भीतर ईश्वर का वास होता है, तो उसकी बुद्धि सद्कर्मों और परोपकार की ओर प्रेरित होती है। अब आपको स्वयं विचार करना चाहिए कि क्या आपके भीतर ईश्वर का अस्तित्व है? क्या आपने कभी कोई ऐसा कार्य किया है जिससे संपूर्ण जीव-जगत का कल्याण हो? क्या आपके भीतर दया, प्रेम, भाईचारा, मानवता और सद्भावना जैसे गुण शेष हैं? यदि नहीं, तो यह स्पष्ट है कि आपके भीतर ईश्वर का वास नहीं है। जब व्यक्ति के भीतर ही ईश्वर नहीं है, तो फिर इस धरती पर ईश्वर कहाँ होंगे?
मेरे पास ठोस प्रमाण हैं कि ईश्वर इस धरती से जा चुके हैं। मैं यह बात प्रसिद्धि या धन प्राप्त करने के लिए नहीं कह रहा हूँ, बल्कि आप सभी को सूचित करना चाहता हूँ कि अब ईश्वर पर निर्भर रहना व्यर्थ है। अब हम सभी शीघ्र ही एक गहरी नींद में सोने वाले हैं—एक ऐसी नींद, जिससे कोई नहीं जागता।
यदि आप इस बात के प्रमाण देखना चाहते हैं, तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
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