ईश्वर ने हर महिला को मां बनने का उपहार दिया है।

 


जीवन स्तर का खेल है।

ईश्वर ने हर महिला को मां बनने का उपहार दिया है। यह उपहार हर महिला के जीवन में विशेष स्थान है। एक महिला का जीवन सही मायने में तब शुरू होता है जब वह मां बनती है। हर महिला के जीवन में वह सबसे खूबसूरत होती है जब वह अपने बच्चे को जन्म देती है। विनाशकारी पीड़ा सहकर एक नया जीवन प्रकृति को पुनः प्राप्त करता है वह माँ है। एक माँ अपने बच्चे के लिए जो करती है वह दुनिया में दूसरा कोई नहीं कर सकती। बच्चों के पहले गुरु उनकी मां होती हैं। माँ ही बच्चों को खाना, बुनियादी, चलें और जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता छोड़ दें। आज का इंसान दुनिया में रहता है भूल मेरे वाले माता-पिता भी हैं। आज कल के बच्चे अपनी नीजी रोशनी में तीन जुड़े हुए रहने लगे हैं कि घर, परिवार से दूर जाना है। बच्चे के लिए पैसे की तलाश माता-पिता से दूर रहती है। ऐसे होते हैं बच्चे माता-पिता से दूर। जब उन्हें हमारी जरूरत होती है तब हम उनके पास नहीं होते। जब हमें किसी की जरूरत होती है तो वह समय पर ना मिलते हैं तो इंसान का फिल्मी इमेजेज सामने आता है।



उसकी याददाश्त कम होती जा रही है। वह मानसिक रोगी बन जाता है। आज विश्व के अधिकांश बुजुर्ग इस बीमारी से ग्रस्त हैं क्योंकि उनके बच्चों को समय नहीं दिया जाता है। हमारे जीवन में हथियार डालना और पैसा कमाना महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन हमारी माता प्रकृति हम सभी को जीवन प्रदान करती है, साथ में हमारी कर्तव्यनिष्ठा भी तय करती है। हमें एकता की पालना करनी चाहिए। इंसान वही है जो अपने कर्तव्य को अपनाए और अपनाए। हर माता-पिता का कर्तव्य है कि वह अपनी आर्थिक स्थिति पर ध्यान देकर ही बच्चों को जन्म दे। अगर हमारे पास के एक बच्चे को जन्म दिया जाए, तो हमारे परिवार के सदस्यों को पूरा करने का स्रोत है तो हमें एक ही बच्चे को जन्म देना चाहिए। हर माता-पिता इस कर्तव्य का सही तरीके से पालन करें तो दुनिया में गरीबी, भूखमरी, शिक्षा और खिलाड़ियों जैसी गंभीर समस्याओं का समाधान हो जाएगा। प्रत्येक बच्चे का यह कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता के बुजुर्गों की कक्षा में उनका ध्यान रखें, उनके सारि-सिक्स बिल्डरों को उनके समय के लिए विभिन्न कक्षाओं में उनकी सेवा प्रदान करें। बुजुर्ग राज्य में माता-पिता की साड़ी को पूरा करना संतान का कर्तव्य है। इस कर्तव्य का पालन सभी मानवीय विश्वसनीयता से करें तो किसी भी वृद्ध को वृद्धाश्रम जाने की आवश्यकता नहीं है। एक बार हमेशा याद रखें। जीवन स्तर का खेल है। हम भी एक दिन बूढ़े होंगे, उस समय हमारा भी यही हाल होगा क्योंकि जो आज जवान है, वह कल बूढ़ा होगा। अपने बुजुर्ग माता-पिता को समय दें। विश्व के सभी देशों और उनकी स्वतंत्रता को अपने संविधान में शामिल करना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए इसलिए साधारण नियम बनाने चाहिए। जब सभी देशों में इस प्रकार के अनुमानित नियम शेष गरीबी विश्व, भूखमरी और एथलीट जैसे गंभीर उम्मीदवारों का अंत होगा। विचारधारा को अपनाना है, गरीबी मिटाना है।





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